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शुक्रवार, नवंबर 11, 2011

11-11-11


बात 12 फरवरी 2000 की है मैं उस समय मेरठ विश्वविद्यालय परिसर से M.Sc. कर रहा था मेरे बैच में 9 छात्र और 2 छात्राएं थे. उस दिन हम सब अपने ही एक साथी का जन्मदिन मनाने के लिए विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार के सामने चाचा रेस्टोरेंट में एकत्र हुए थे. सभी लोग बातचीत कर रहे थे कि एक मित्र अशोक ने कहा कि उसने अपने एक पुराने मित्र के साथ वादा कर रखा है कि चाहे कहीं भी रहे पर 11-11-11 को वो उस मित्र से प्रतापगढ़ रेलवे स्टेशन पर मिलेगा. उसकी बात सुन कर मैंने कहा कि हम सब बैचमेट भी ऐसे ही मिलने का तय कर लेते हैं. इस पर खूब चर्चा हुई, 2000 लीप वर्ष था तय हुआ हर 29 फरवरी को मिला जायेगा.
दुर्भाग्यवश उस दिन जिस मित्र का जन्मदिन मना रहे थे वो एक महीने बाद ही एक सड़क दुर्घटना में नहीं रहा.
वक्त बीता चार साल बाद 2004 में 29 फरवरी को 10 में से 9 बैचमेट मेरठ विश्वविद्यालय परिसर में एकत्र हुए, पूरानी यादें ताजा की.
फिर चार साल बाद 2008 में सब लोग और ज्यादा व्यस्त हो गए फिर भी 6 लोग इक्कठे हुए, हाँ इस बार जगह बदल गयी थी सब दिल्ली में मिले. तय हुआ कि 2012 में सब परिवार सहित इक्कठे होंगे.
आज 11-11-11 को ये सब याद आ गया क्यों कि इसी तारीख से बात शुरू हुई थी. आज अशोक से बात नहीं हो पाई पता नहीं वो आज उस मित्र से प्रतापगढ़ रेलवे स्टेशन पर मिला कि नहीं, बात होंगी तो आपसे जरूर बताऊंगा.


मैंने जो लिखा उसके बारे में मित्र अशोक के विचार जानने के लिए यहाँ चटका (Click) लगाएं


4 टिप्‍पणियां:

  1. dear chandarakant
    it is really nice to read this blog today and it is no surprise that you remember the incident. unfortunately, i could not meet with my friend rajesh dubey but we spoke yesterday that we should meet this weekend.
    i feel sad that we could not turn that promise into reality as we both are living in NCR and it is easy to meet here.
    however, once again, i missed the date willingly or unwillingly aur mujhe ek pankti yaad gayi... main der kartaa nahi... ho jaati hai...
    thanks for remembering this incident and mesmerising me
    yours ashok

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  2. accha laga dixit ji ki abhi bhi ap ko sab yaad hai n batayega baad ki ghatna bhi, n apki es discusion pe mujhe kuch yaad aaya to wo share kar rahi hu :))

    यहाँ ग़मगीन मत होना, कोई भूल जाये तो,
    यहाँ रब को भी सब, वक़्त-इ-जरोरत याद करते है :))

    जवाब देंहटाएं
  3. यहाँ ग़मगीन मत होना, कोई भूल जाये तो,
    यहाँ रब को भी सब, वक़्त-इ-जरोरत याद करते है :))

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