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जन्मस्थान... शामली जिला शामली उत्तर प्रदेश, कर्मस्थान..... वर्तमान में लखनऊ

रविवार, अप्रैल 03, 2011

कप

पोंटिग ने बीवी से चाय मांगी, बीवी ने प्लेट में चाय दे दी, पोंटिग ने कहा अरे प्लेट से कैसे चाय पियूँगा कप तो ला दो. बीवी ने कहा कप तो धोनी ले गया अब प्लेट में चाय पीने की आदत डाल लो
(हिंदुस्तान समाचार पत्र से साभार)

फिर रचा इतिहास

२ अप्रैल २०११,
मुंबई का वानखेडे स्टेडियम,
विश्वकप भारत का,
चारों और लहराते तिरंगे, और भला क्या चाहिए
२८ वर्ष का इंतजार आखिरकार २ अप्रैल को समाप्त हुआ. मैच से पहले कई बातें मन में थी १९९६ का वो सेमीफाइनल, २००३ का फ़ाइनल. लेकिन सब आशंकाएं निर्मूल सिद्ध हुई और हम जीत गए. धोनी वाकई किस्मत के धनी हैं.
जीत के बाद का जश्न देख रहा हूँ. क्या और कुछ है जो आम और खास को एक कर दे, उधर देश की राजनीति की सबसे ताकतवर कही जाने वाली महिला दिल्ली की  सड़कों पर जीत का जश्न मना रही हैं तो इधर मेरे घर के बाहर कपड़ों पर प्रेस करने वाली महिला धोनी जिंदाबाद के नारे लगा रही है. शिखर से जमीन तक सब एक रंग में डूबे हैं. नेता, अभिनेता से लेकर आम आदमी सब अपने हिन्दुस्तानी होने के अहसास के साथ झूम रहे हैं, अब इस खेल की आलोचना करने वाले कुछ भी कहें, कश्मीर से कन्याकुमारी तक पूरे भारत को विश्व विजय का अहसास करा सबको नाचने का मौका देने वाले खिलाडियों को मेरा सलाम.
चलते चलते अमिताभ जी को ट्विटर पर पढ़ रहा हूँ वो लिखते हैं अनहोनी को होनी कर दे होनी को अनहोनी एक जगह जब जमा हो तीनों रजनी (कांत) गजनी (आमिर) और धोनी  
जय हिंद