पिछले कुछ महीनों से घर के आसपास के इलाके में बंदरो का झुण्ड दिखाई पड़ता है ........एक दिन बेटे ने मुझसे पूछा कि इन बंदरों को तो जंगल में रहना चाहिए ये यहाँ हमारे घरों में क्यों आते हैं ....
मैंने उसे बताया ये जो घर आज बने हैं जंगलों को काट कर ही बने हैं और दरअसल ये बन्दर हमारे घरों में नहीं आ रहे हम इंसानों ने इनके घरों पर कब्ज़ा जमा लिया है......
..............ये बात इस कविता की प्रेरणा बनी और पिछले सप्ताह कार्यालय में हिंदी पखवाड़े की कविता प्रतियोगिता में मुझे इस कविता ने पुरस्कार भी दिलवा दिया पर इंसान जंगल काट कर कंक्रीट का जंगल क्यूँ बढ़ा रहा है ये सवाल तो सवाल ही रह गया | खैर....... कविता आप भी पढ़िए...
मैंने उसे बताया ये जो घर आज बने हैं जंगलों को काट कर ही बने हैं और दरअसल ये बन्दर हमारे घरों में नहीं आ रहे हम इंसानों ने इनके घरों पर कब्ज़ा जमा लिया है......
..............ये बात इस कविता की प्रेरणा बनी और पिछले सप्ताह कार्यालय में हिंदी पखवाड़े की कविता प्रतियोगिता में मुझे इस कविता ने पुरस्कार भी दिलवा दिया पर इंसान जंगल काट कर कंक्रीट का जंगल क्यूँ बढ़ा रहा है ये सवाल तो सवाल ही रह गया | खैर....... कविता आप भी पढ़िए...
काट रहे हैं पेड़ जो बोये - सार्थक
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