मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
India
जन्मस्थान... शामली जिला शामली उत्तर प्रदेश, कर्मस्थान..... वर्तमान में लखनऊ

रविवार, अगस्त 22, 2010

ज़िन्दगी

रूठती मनती हुई सी ज़िन्दगी
मुठ्ठियों से रेत सी छनती हुई सी ज़िन्दगी

ज़िन्दगी से पूछता हूं ज़िन्दगी तू कौन है
ज़िन्दगी ही कह रही है ज़िन्दगी तो मौन है

ये कभी पत्थर कभी है रूई सी ज़िन्दगी
दोस्तों बेशर्म है छुइ मुई सी ज़िन्दगी

है कभी पतझड़ कभी है बाग सी ये ज़िन्दगी
बर्फ का टुकड़ा है यारों आग सी ये ज़िन्दगी

इक सवेरा है कभी है रात सी ये ज़िन्दगी
मौन रहते हैं जो उनकी बात सी ये ज़िन्दगी

है कभी कांटा कभी है फ़ूल सी ये ज़िन्दगी
याद करता हूं तो लगती भूल सी ये ज़िन्दगी

ये कभी आंधी कभी पुरवाई सी ये ज़िन्दगी
भीड़ इतनी है लगे तन्हाई सी ये ज़िन्दगी

ये कभी मंजिल कभी इक रास्ता है ज़िन्दगी
भूली बिसरी याद रहती दास्तां है ज़िन्दगी

दीक्षित

शनिवार, अगस्त 14, 2010

कैद में हूँ

कैद में हूं पर निकलना चाहता हूं
एक पर्वत हूं पिघलना चाहता हूं
लड़खड़ाता चल रहा था आज तक मैं
रास्तों पर अब संभलना चाहता हूं

लक्ष्य है जिस ओर मुड़ना चाहता हूं
अपनी मंजिल से मैं जुड़ना चाहता हूं
हौसलों के पंख उग आये हैं अब
आसमानों में मैं उड़ना चाहता हूं

दुख के सागर से मैं हटना चाहता हूं
सुख की बस्ती में मैं बसना चाहता हूं
सिसकियां अब बात कल की हो रही हैं
जोर से यारों मैं हंसना चाहता हूं

ख्वाब हैं जो सच बनाना चाहता हूं
अपनी ताकत मैं बताना चाहता हूं
मौन थी जो आज तक दिल में मेरे
एक धुन वो गुनगुनाना चाहता हूं

दीक्षित

गुरुवार, अगस्त 05, 2010

यूं ही

अपने गम पीता रह गया
मैं तनहा रीता रह गया
दुनिया तो कल में चली गई
मैं कल में जीता रह गया
यादों की उस परछाई में
उस बगिया उस अमराई में
जो साथ गुज़ारा था हमने
उस पल में जीता रह गया
में कल में जीता रह गया