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जन्मस्थान... शामली जिला शामली उत्तर प्रदेश, कर्मस्थान..... वर्तमान में लखनऊ

गुरुवार, सितंबर 09, 2010

हौसला

मेरी डायरी में कुछ पंक्तियां लिखी हैं। तारीख पडी है 3 जून 2000, आज सोचता हूं दस वर्ष से गुमनाम शब्दों को सबके साथ बांटा जाए


समंदर का किनारा और मैं
रेत पर यूं ही चली थी उंगलियां
खिंच गई थी कुछ लकीरें
लिखी गई कोई इबारत
उस इबारत पर बना बैठा मैं
एक सपनों की इमारत
खुश तो बहुत था मैं
देख कर तकदीर अपनी
कि अचानक
एक लहर आई
और मिट गई सारी लकीरें
गिर गई पूरी इमारत
क्या मैं अब उदास हो जाऊं
नहीं
फिर से लिखुंगा मैं
पत्थरों पर
हौसलों की छेनियों से
उस इबारत को
फिर कोई भी लहर
न मिटा सकेगी उसे
मैं अब भी खुश हूं

3 टिप्‍पणियां:

  1. हौसला बना रहे ,अच्छी रचना ।

    गणेश चतुर्थी, तीज एवं ईद की बधाई

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  2. "फिर से लिखुंगा मैं
    पत्थरों पर
    हौसलों की छेनियों से
    उस इबारत को"

    बहुत खूब

    जवाब देंहटाएं